आमतौर पर अपनी लोकप्रिय योजनाओं को लेकर चर्चा में बनी रहने वाली प्रदेश सरकार पिछले कुछ समय से अपने ही फैसलों के कारण विपक्ष समेत कुछ समूहों की कड़ी आलोचना का शिकार बनी हुई है. लेकिन फिर भी उसके हौसले पस्त नहीं हैं क्योंकि ज्यादातर विवादों का अंत या तो उसके मनमाफिक हो रहा है या परिणाम उसके पक्ष में आ रहा है. यानी अंततः सरकार विरोधियों पर ही भारी पड़ रही है.
8 फरवरी 2012: तस्वीरों में इंडिया टुडे
दरअसल पिछले साल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर में आयोजित एक कार्यक्रम में घोषणा की थी कि जुलाई 2012 से स्कूलों में पहली से 10वीं क्लास तक गीता पाठ पढ़ाया जाएगा. इस फैसले के खिलाफ कैथोलिक बिशप काउसिंल ने सरकार को हाइकोर्ट में घसीट लिया था. काउसिंल के प्रवक्ता आनंद मुटुंगल ने मांग की थी कि गीता के साथ दूसरे धर्म के ग्रंथ भी पढ़ाए जाने चाहिए. हालांकि 27 जनवरी को याचिका पर आया फैसला सरकार के पक्ष में है. अपने फैसले में जबलपुर हाइकोर्ट ने कहा है कि गीता धार्मिक किताब नहीं है बल्कि जिंदगी जीने का तरीका है. इस लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की सोच रहे मुटुंगल का कहना है कि उनके पक्ष को सही तरीके से नहीं सुना गया. वे कहते हैं, ‘हम गीता के खिलाफ नहीं हैं बल्कि यह चाहते हैं कि दूसरे धर्मों के ग्रंथों की अच्छी बातों को भी शिक्षा में शामिल किया जाए.’ फैसले के विरोध में सुर मिलाते हुए नेता विपक्ष अजय सिंह कहते हैं कि शिक्षा का भगवाकरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
1 फरवरी 2012: तस्वीरों में इंडिया टुडे
हाल ही में मुख्यमंत्री जिस अन्य वजह से विवादों में फंसे थे वह था 12 जनवरी को स्कूलों में सूर्य नमस्कार करवाने का आदेश. इसका कांग्रेस सहित कैथोलिक चर्च और मुस्लिम समूहों ने भी जमकर विरोध किया था. भोपाल के शहर का.जी मुश्ताक अली नदवी ने इसे गैर इस्लामिक बताते हुए इसके खिलाफ फतवा भी जारी कर दिया था. जबकि मुफ्ती सय्यद बाबर का कहना है कि मुसलमानों के लिए सूर्य के आगे झुकना हराम है. इस तरह का फैसला लेना गलत है, सभी मजहबों का सम्मान किया जाना चाहिए.
हालांकि विरोधों के बावजूद राज्य के 6,000 से ज्यादा सरकारी स्कूलों और कुछ निजी शैक्षाणिक संस्थाओं में सूर्य नमस्कार का सफल आयोजन हुआ और खुद चौहान भी इसमें शामिल हुए. सरकारी सूत्रों का तो यहां तक दावा है कि सूर्य नमस्कार कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने इतनी बड़ी संख्या में भाग लिया है कि इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज होने जा रहा है. हालांकि चौहान सफाई देते हैं कि सूर्य नमस्कार में शामिल होना अनिवार्य नहीं था.
25 जनवरी 2012: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
इस बीच, 22 दिसंबर को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने मध्य प्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम 2010 को भी मंजूरी दे दी. इस अधिनियम के अंतर्गत गौवंश की हत्या करने वालों को अधिकतम 7 साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान भी है. इस अधिनियम के कुछ प्रावधान विवादों के घेरे में हैं. जैसे कि जिस व्यक्ति पर गोवंश वध का आरोप लगेगा, उसे खुद ही अपने आप को बेगुनाह साबित करना होगा. इस प्रावधान को लेकर अल्पसंख्यक समुदायों में भय है. उनका मानना है कि इस कानून का उनके खिलाफ दुरुपयोग किया जा सकता हैं. वरिष्ठ पत्रकार लज्जा शंकर हरदेनिया कहते हैं, ‘यह ऐसा कानून है जिसमें आरोप गलत सिद्ध करने का अधिकार उसी का होगा जिसके खिलाफ आरोप लगा है. यदि वह खुद को निर्दोष साबित नहीं कर पाता है तो उसे सात साल तक सजा भुगतनी पड़ेगी.’ इस कानून के मुताबिक कोई भी व्यक्ति बगैर अनुमति गौवंश को कहीं ला-ले जा नहीं कर सकेगा. गोवंश को बेचने या पशु मेले में ले जाने के लिए भी सक्षम अधिकारी से इसकी इजाजत लेनी पड़ेगी. लोगों को अंदेशा है कि इस नियम के चलते आम आदमी को बेवजह सरकारी दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ेंगे.
18 जनवरी 2012: तस्वीरों में देखिए इंडिया टुडे
इन फैसलों के पीछे विपक्ष को सरकार की चाल नजर आ रही है. अजय सिंह कहते है, ‘सरकार की कोशिश संघ के एजेंडा को लागू करने की है. लगता है, जैसे भाजपा ने आगामी चुनाव की तैयारी अभी से शुरु कर दी है. लेकिन प्रदेश की जनता सब समझती है. वह किसी बहकावे में नहीं आने वाली.’
फैसले जो बने विवाद की वजहगीता पाठः जुलाई 2012 से प्रदेश के स्कूलों में पहली से दसवीं क्लास तक गीता पाठ के फैसले के खिलाफ कैथोलिक बिशप काउंसिल ने हाइकोर्ट में जनहित याचिका लगाई. 27 जनवरी को फैसला आया जो सरकार के पक्ष में था.
सूर्य नमस्कारः स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस 12 जनवरी को स्कूलों में सूर्य नमस्कार के आदेश का कैथोलिक चर्च, मुस्लिम समुदाय और कांग्रेस ने विरोध किया. लेकिन कार्यक्रम सफल रहा.
गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियमः प्रदेश सरकार के गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम 2010 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली.

