अपनी एकता और सरकार के खिलाफ रणनीति साझा करने के लिए 7 अगस्त को इंडिया ब्लॉक के लगभग 50 वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की तरफ से आयोजित डिनर में जुटे थे. इस दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ब्लॉक के सभी नेताओं के साथ चुनावी धांधली के ‘ठोस सबूत’ पेश किए और चुनाव आयोग पर 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी के साथ मिलीभगत करने का सीधा आरोप लगाया.
इस कार्यक्रम का सबसे अहम हिस्सा था ‘डेमोक्रेसी डेस्ट्रॉयड’ टाइटल वाला एक प्रेजेंटेशन. इसके जरिए राहुल गांधी ने कथित बूथ-स्तरीय चुनावी धोखाधड़ी के बारे में इंडिया ब्लॉक के सहयोगियों को जानकारी दी. महीनों तक किए गए आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित इस प्रेजेंटेशन में बेंगलुरु मध्य लोकसभा क्षेत्र के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में कथित हेराफेरी के बारे में तथ्य बताए गए. कांग्रेस के दस्तावेजों के मुताबिक यहां 1,00,250 से अधिक फर्जी वोट दर्ज किए गए थे.
इस जुटान में इंडिया ब्लॉक के विभिन्न सहयोगी दलों के शीर्ष नेता एकत्रित हुए और यह आने वाले चुनावों के लिहाज से नैरेटिव तैयार करने में भी अहम साबित होगा. इस दौरान गठबंधन ने बूथ-स्तरीय रणनीति और लामबंदी को और सघन बनाकर चुनावी धोखाधड़ी रोकने का संकल्प लिया.
राहुल गांधी के इस प्रेजेंटेशन की बुनियाद पर इंडिया ब्लॉक इस बात पर सहमत हुआ कि 11 अगस्त को भारतीय चुनाव आयोग (ECI) तक विरोध मार्च निकाला जाएगा. यह मार्च इंडिया ब्लॉक के औपचारिक विरोध और चुनावी पारदर्शिता की मांग का प्रतीक होगा.
प्रेजेंटेशन के दौरान राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी कुर्सी सिर्फ़ 25 लोकसभा सीटों की बदौलत मिली है, जो 33,000 से कम वोटों के अंतर से जीती गई थीं. साथ ही कुछ खास निर्वाचन क्षेत्रों में हुई धांधली ने अंतिम नतीजों को प्रभावित किया. उन्होंने कहा, "यह सिर्फ़ चुनावी भ्रष्टाचार नहीं है. यह भारतीय संविधान के ख़िलाफ़ एक अपराध है."
एक्शन प्लान : चुनाव आयोग के खिलाफ मार्च से लेकर ‘बिहार यात्रा’ तक
वोटिंग में गड़बड़ी के इस आरोप के हवाले से इंडिया गठबंधन के नेताओं ने दो तरह से विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी की है. 11 अगस्त को चुनाव आयोग तक एक संयुक्त मार्च किया जाएगा जिसमें आयोग से जवाबदेही की मांग करते हुए और औपचारिक रूप से सबूत पेश किए जाएंगे.
इसके अलावा बिहार में एक राज्यव्यापी महागठबंधन यात्रा करने की भी योजना है. यह यात्रा 17 अगस्त से शुरू होकर 1 सितंबर को पटना में समाप्त होगी. इसका मकसद जनसमर्थन जुटाना और इंडिया ब्लॉक के मुताबिक "लोकतांत्रिक अपहरण" का पर्दाफाश करना है. बिहार यात्रा का नेतृत्व राहुल गांधी करेंगे. डिनर के दौरान राहुल गांधी ने बिहार महागठबंधन के सहयोगियों के साथ अलग से एक बैठक भी की थी.