8 दिसंबर को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय चावल पर एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने की बात कही है.
ट्रंप ने कहा, "भारत से आने वाले चावल और कनाडा से आने वाली खाद पर अमेरिका एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने पर विचार कर रहा है."
ट्रंप भारतीय चावल पर टैरिफ लगाने की तैयारी क्यों कर रहे हैं?
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मुताबिक, दूसरे देशों से आने वाला सस्ता सामान अमेरिकी किसानों को नुकसान पहुंचा रहा है. उनका कहना है कि भारत, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देश अमेरिका में बहुत सस्ता चावल बेच रहे हैं, जिससे यहां के किसानों की कमाई कम हो रही है.
ट्रंप ने इसे 'डंपिंग' बताया और कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए. इतना ही नहीं ऐसा बोलते वक्त ट्रंप ने अपने पास में बैठे वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट से पूछा कि क्या भारत को चावल के मामले में किसी तरह की छूट मिली हुई है? इस पर अमेरिकी वित्त मंत्री ने कहा कि उनके साथ व्यापार समझौते पर अभी बातचीत चल रही है.
बता दें कि 8 दिसंबर को ट्रंप 12 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज (ऐसा पैकेज जिससे सरकार किसी वित्तीय संस्थान को आर्थिक मदद करती है) की घोषणा कर रहे थे. इसी वक्त उन्होंने भारतीय चावल को लेकर ये बात कही है. साथ ही ट्रंप ने कहा है कि सरकार उन दावों की जांच करेगी कि भारत और दूसरे देश अमेरिकी बाजार में कम कीमत वाला चावल डंप कर रहे हैं.
इस बैठक में मौजूद किसानों ने ट्रंप पर विदेश से आने वाले चावल को लेकर कड़ा रुख अपनाने का दबाव डाला और तर्क दिया कि सब्सिडी वाले चावल के आयात से अमेरिकी बाजारों पर असर पड़ रहा है और घरेलू कीमतें गिर रही हैं. ट्रंप ने जवाब दिया कि यह धोखाधड़ी है.
अमेरिकी राइस मिल की सीईओ ने विदेशी चावल पर और टैरिफ लगाने की मांग की
अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ बैठक में लुइसियाना की कैनेडी राइस मिल की सीईओ मेरिल कैनेडी ने ट्रंप से कहा कि भारत, थाईलैंड और चीन अमेरिका को सबसे ज्यादा चावल निर्यात कर रहे हैं. उनका दावा था कि चीनी चावल की कुछ खेपें अमेरिकी मुख्य भूमि (मेनलैंड) के बजाय प्यूर्टो रिको भेजी जा रही हैं. राइस मिल की सीईओ कैनेडी ने कहा, "हमने सालों से प्यूर्टो रिको को चावल नहीं भेजा है. वहां चीन से चावल आता है."
इसके साथ ही उन्होंने ट्रंप से इन देशों से आने वाले चावल पर और ज्यादा टैरिफ लगाने की मांग की. बता दें कि प्यूर्टो रिको उत्तर अमेरिकी महाद्वीप पर स्थित है, लेकिन अमेरिका के 50 राज्यों में से किसी का हिस्सा नहीं है और यहां अलग व्यापारिक/शिपिंग नियम लागू होते हैं.
यह सबकुछ सुनने के बाद ट्रंप ने वहां मौजूद किसानों से कहा, "उन्हें डंपिंग नहीं करनी चाहिए." इसके बाद उन्होंने वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट से उन देशों के नाम लिखने को कहा जिनका नाम किसान ले रहे थे.
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, भारत के अलावा कनाडा भी उन देशों में शामिल है, जो अमेरिका के साथ अपने आर्थिक संबंधों को स्थिर करने के लिए व्यापार समझौतों पर जोर दे रहे हैं. हालांकि, अब तक बातचीत सही दिशा में आगे नहीं बढ़ पा रही है.
अगस्त में ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर 50 फीसद टैरिफ लगाया था और कहा था कि भारत पर यह टैरिफ रूसी तेल खरीदने के कारण लगाया जा रहा है.
टैरिफ पर बातचीत के लिए भारत आ रहे हैं अमेरिकी अधिकारी
ट्रेड डील और टैरिफ पर बातचीत के लिए अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जल्द भारत आने वाला है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों पक्ष 10 और 11 दिसंबर को मिलेंगे और द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को आगे बढ़ाने को लेकर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे. इसपर बातचीत के लिए अमेरिकी अधिकारी रिक स्वित्जर भारत आ रहे हैं.
भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल होंगे. भारत अभी भी दिसंबर के अंत तक हर हाल में इस डील को फाइनल करना चाहता है. 28 नवंबर को फिक्की की वार्षिक आम बैठक में बोलते हुए राजेश अग्रवाल ने कहा कि वे बहुत आशावादी हैं और उन्हें पूरी उम्मीद है कि इसी साल के आखिर तक कोई समझौता हो जाएगा.

