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आधुनिक भारत के आधार-स्तंभः अग्नि की उड़ान

अग्नि को शुरू से ही एक अलग स्तर की मिसाइल माना गया था और इसके रणनीतिक महत्व को समझते हुए इसे भारत के इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम से अलग कर दिया गया था.

कुछ यूं अग्नि मिसाइल के बारे में बताते हुए दिवंगत डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
कुछ यूं अग्नि मिसाइल के बारे में बताते हुए दिवंगत डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
अपडेटेड 22 अगस्त , 2017

अग्नि मिसाइल विभागः स्थापनाः 1989

अग्नि को शुरू से ही एक अलग स्तर की मिसाइल माना गया था और इसके रणनीतिक महत्व को समझते हुए इसे भारत के इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम से अलग कर दिया गया था.

700 किमी की दूरी तय करने वाली अग्नि-1 का पहला परीक्षण 1989 में और मध्यम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-2 का परीक्षण 1999 में हुआ था. सतह से सतह पर मार करने वाली यह मिसाइल 2,000-2,500 किमी की दूरी तय कर सकती है और यह परंपरागत और एटमी, दोनों तरह के विस्फोटक ले जाने में सक्षम है.

इसके बाद 2011 में अग्नि-3 को शामिल किया गया जिसकी मारक क्षमता 3,500-5,000 किमी तक है. यह किसी भी पड़ोसी देश में भीतर तक मार कर सकती है. अग्नि-4 की मारक क्षमता भी इतनी ही है लेकिन उसकी गति अपेक्षाकृत ज्यादा है और यह 1,000 किलो विस्फोटक वहन कर सकती है. 5,000 किमी तक मार करने वाली अग्नि-5 मिसाइल भारत की रक्षा व्यवस्था का एक बेहद शक्तिशाली हथियार है.

भविष्य में अग्नि-5 में मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री वेहिकल की अवधारणा को जोड़ा जा सकता है, जिसमें हर मिसाइल 2 से 10 अलग एटमी विस्फोटक अपने साथ ले जा सकती है. हर विस्फोटक को एक-दूसरे से हजारों किमी की दूरी वाले अलग-अलग लक्ष्य को तबाह करने का काम सौंपा जा सकता है. इसके अलावा एक ही लक्ष्य के लिए दो या दो से अधिक विस्फोटक लगाए जा सकते हैं. भारत अब अग्नि-6 विकसित कर रहा है, जिसकी मारक क्षमता 8,000-10,000 किमी की होगी.

 क्या आप जानते हैं?

पहले परीक्षण से कुछ घंटे पहले इसके जनक कलाम के पास सरकार के एक बड़े अधिकारी का फोन आया, जो अमेरिका के नाटो संगठन की ओर से परीक्षण में देरी के लिए दबाव डाले जाने के बारे में था.

तैनाती को तैयार

भारत में विकसित की जा रही मध्यम और अंतर-महाद्वीपीय मारक क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइलों की शृंखला में अग्नि-5 सबसे तकनीक-संपन्न और घातक है. यह 5,000 किलोमीटर दूर से शत्रु के निशाने पर हमला कर सकती है और अपने साथ एक टन वजनी एटमी प्रहार सामग्री वहन कर सकती है. अगर यह मिसाइल भारतीय हमलावर मिसाइल बेड़े में शामिल की जाती है तो इससे भारत अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल संपन्न देशों के बेहद दुर्लभ समूह में शामिल हो जाएगा.

 

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