आठवीं बोर्ड में 97 फीसदी अंकों के साथ पूरे अजमेर जिले में टॉप करने वाले कुचामन के नोबल स्कूल के छात्र आकाश के जब दसवीं बोर्ड में 88 फीसदी अंक आए और जिले में उसका स्थान 37वें पायदान पर पहुंच गया तो उसके पिता ओमप्रकाश सैनी को कुछ खटका हुआ. उन्होंने बेटे की उत्तर पुस्तिकाओं की प्रतिलिपि पाने के लिए पिछले साल 2 जुलाई को आरटीआइ लगाई.
कायदे से बोर्ड को उन्हें 30 दिन में उत्तर पुस्तिका उपलब्ध करवानी थी लेकिन वह उन्हें मिली आवेदन के छह महीने बाद यानी 22 जनवरी, 2013 को. सैनी बताते हैं, ''उत्तर पुस्तिकाओं में पहले दिए गए नंबरों पर कांट-छांट कर उन्हें कम कर दिया गया था. परीक्षक ने अंकों में तो बदलाव कर दिया था लेकिन शब्दों में बदलाव करना वह भूल गया. बेइमानी साफ पकड़ में आ रही थी. ''
सैनी ने जयपुर स्थित हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने बोर्ड से इस पर जवाब मांगा है. दूसरा मामला जोधपुर के पीपाड़ निवासी महावीर बोहरा का है जिन्होंने पिछले साल बारहवीं बोर्ड की परीक्षा दी थी. इकोनॉमिक्स में उसे सिर्फ पांच अंक मिले थे. महावीर ने उत्तर पुस्तिका की समीक्षा कराई, लेकिन बोर्ड ने जवाब दिया कि दिए गए अंक सही हैं.
महावीर ने भी आरटीआइ के तहत उत्तर पुस्तिका मांगी और उसमें पता चला कि छात्र को 50 अंक मिले थे. पीडि़त छात्र ने उपभोक्ता मंच की मदद ली. मंच ने बोर्ड से जवाब मांगा तो बोर्ड ने कह दिया कि वह सेवा के दायरे में नहीं आता है इसलिए कोई गलती नहीं बनती. लेकिन मंच ने माना कि बोर्ड ने सेवा दोष किया है. बोर्ड ने यदि गलती से 5 अंक लिखे होते तो वह उसे दोबारा जांच में ठीक कर सकता था. इसके बाद मंच ने बोर्ड को 25,000 रु. जुर्माना अदा करने को कहा और व्यय के 2,000 रु., पुनर्गणना के 100 रु., परीक्षा शुल्क के 280 रु.और उत्तर पुस्तिका की प्रति शुल्क के 400 रु. छात्र को देने का आदेश दिया.
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पर सिर्फ लापरवाही ही नहीं भ्रष्टाचार के भी बड़े-बड़े दाग लग रहे हैं. हाल ही में बोर्ड के वित्तीय सलाहकार और मुख्य लेखाधिकारी नरेंद्र कुमार तंवर के करोड़ों रु. के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. तंवर के जयपुर और अजमेर निवास पर 10 करोड़ रु. नकद मिले हैं. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भंवर सिंह नाथावत कहते हैं, ''साढे तीन साल में तंवर ने लगभग 80 करोड़ रु. की बेनामी संपत्ति अॢजत की. '' बोर्ड के गोपनीय फंड का हिसाब तक नहीं मिला वहीं बोर्ड के नाम 55 करोड़ रु. की एफडी भी तंवर के घर पर मिली.
लापरवाही और भ्रष्टाचार के चंगुल में फंसे बोर्ड को अपनी जिम्मेदारी का शायद अहसास तक नहीं है. इस साल राजस्थान भर में बारहवीं की परीक्षा में 7,95,000 और दसवीं की परीक्षा में साढे 10 लाख विद्यार्थी बैठे थे. इस तरह करीब 20 लाख विद्यार्थियों के भविष्य का जिम्मा बोर्ड पर है लेकिन उसकी कार्यप्रणाली को देखकर लगता नहीं है कि वह इसे लेकर जरा भी गंभीर है. तभी तो बोर्ड में आज भी परीक्षा की कॉपियां जांच के लिए शिक्षकों के घर भेजी जाती हैं. बावजूद इसके कि शिक्षकों पर कॉपियों की जांच के जरिए पैसा बनाने के ढेरों आरोप लगते रहे हैं. बोर्ड में नवनियुक्ति अध्यक्ष प्रोफेसर पी.एस वर्मा भी मानते हैं कि बोर्ड की कार्यप्रणाली में बदलाव जरूरी है.

