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ट्विटर पर कांग्रेस के हाथ रही बाजी

सोशल मीडिया पर बीजेपी से पिछड़ऩे के बाद कांग्रेस ने ट्विटर पर जुबान पर चढऩे वाले शब्द के साथ दिया जवाब. इसे 2014 के चुनाव के लिए कांग्रेस की ऑनलाइन रणनीति का आगाज माना जा रहा है.

अपडेटेड 22 अप्रैल , 2013

सोशल मीडिया पर बीजेपी से पिछड़ऩे के बाद कांग्रेस ने ट्विटर पर जुबान पर चढऩे वाले शब्द के साथ दिया जवाब. इसे 2014 के चुनाव के लिए कांग्रेस की ऑनलाइन रणनीति का आगाज माना जा रहा है.

नई दिल्ली में नरेंद्र मोदी के दो जगहों पर भाषण से दो दिन पहले 6 अप्रैल को कांग्रेस के न्यू सोशल मीडिया से जुड़े थिंकटैंक (विचारकों) ने एक टेलीकॉन्फ्रेंस की. इसमें इस बात को लेकर गहन मंथन किया गया कि मोदी के बढ़ते ऑनलाइन प्रभाव पर किस तरह लगाम कसी जाए. इसमें मोदी के लिए एक ऐसा उपनाम तलाशने पर जोर था जो छोटा, मजेदार एवं आसानी से याद करने लायक हो और जिससे यह दिखाने का उनका इरादा भी पूरा हो सके कि गुजरात के मुख्यमंत्री का भाषण झूठ, अर्द्ध सत्य और कोरी बयानबाजी से सराबोर होता है. ‘मोदी इज लायर (मोदी झूठा है)' और ‘मोदी स्टॉप लाइंग (मोदी झूठ बोलना बंद करो)' जैसे कई मुहावरों पर सरसरी तौर पर चर्चा करने के बाद आखिरकार उनके समूह में शामिल दिल्ली के एक युवा सदस्य के सुझाव ‘फेकू’ पर सहमति बन गई. इस चर्चा में शामिल समूह के एक सदस्य ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर इंडिया टुडे को बताया, 'यह एकदम सटीक शब्द था. यह शब्द काफी दिलचस्प भी था और यह एक ऐसा शब्द है जिसे भारत में हम सब अच्छे से जानते हैं. हर ऑफिस और परिवार में कई या एक फेकू (डींगें हांकने वाला) होता है.'

फेडरेशन ऑफ इंडियन चौंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (फिक्की) लेडीज ऑर्गनाइजेशन (एफएलओ) में मोदी के भाषण शुरू होने के कुछ मिनट बाद ही भारत में #Feku ट्वीट का ट्रेंड शुरू हो गया और जल्द ही यह नंबर एक पर पहुंच गया और तब तक शीर्ष पर बना रहा, जब तक यह खेल बंद नहीं हुआ. दोपहर में करीब एक घंटे तक तो यह दुनिया भर में ट्विटर का टॉप ट्रेंड बना रहा. बीजेपी समर्थक #ModistormsFICCI ट्वीट को इसने किनारे कर दिया और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कांग्रेस ने #PappuCII अभियान के जवाब में तुरुप का जबरदस्त इक्का फेंका. इससे पहले 4 अप्रैल को कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआइआइ) में राहुल गांधी के भाषण के बाद बीजेपी समर्थकों ने ट्विटर पर पप्पू अभियान चलाया था.

कांग्रेस सोशल मीडिया ग्रुप के सदस्य संजय झा बताते हैं, 'इस बार हमने बीजेपी को उसी के हथियार से धराशायी करने का फैसला किया क्योंकि वह पैसे देकर और कई-कई एकाउंट रखने वाले लोगों से जहर उगलवाने का काम लेती आई है. हमारे स्वयंसेवकों के एक छोटे-से समूह ने ट्विटर पर #Feku पोस्ट किया. जल्द ही इसने जोर पकड़ लिया और दुनिया भर में फैल गया.' सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने अगले लोकसभा चुनाव तक इसी मॉडल पर ‘जवाबी हमले’ करने का फैसला कर लिया है जिसमें बीजेपी की नीतियों और मोदी पर खास तौर से हमला होगा.

कई जानकार इस बात को लेकर दुखी हैं कि #Feku बनाम #Pappu की इस लड़ाई ने सोशल मीडिया को आइपीएल मुकाबले जैसा महत्वहीन बना दिया है, लेकिन सच तो यह है कि 2014 के चुनावों की दौड़ में तीन बिंदुओं की वजह से यह काफी रोचक हो जाता है. पहला, पहली बार ऐसा हुआ है कि बीजेपी मुख्यालय 11 अशोक रोड से संचालित और पार्टी के मजबूत माने जाने वाले इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सेल को हथियार डालने पड़े हैं. देश के 25 राज्यों में फैली अपनी 100 लोगों की मजबूत टीम की बदौलत बीजेपी को लगता था कि सोशल मीडिया तो ऐसा प्लेटफॉर्म है जिस पर उसका एकछत्र कब्जा है. इस सेल के राष्ट्रीय प्रमुख अरविंद गुप्ता कहते हैं, 'यह तो एकदम साफ है कि इस अभियान को कांग्रेस ने बाहरी लोगों की मदद से अंजाम दिया है. इसके कोई मायने नहीं हैं. इसे कल ही भुला दिया जाएगा क्योंकि यह मोदी के भाषण पर होने वाली स्वाभाविक प्रतिक्रिया के विरोध में पूर्व नियोजित गढ़ी हुई भावना थी.'

उनका दावा था कि इसके विपरीत बीजेपी के सेल में काम करने वाले लोग पार्टी के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं. उनका कहना है कि सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथी भावना और बीजेपी का ऑनलाइन आंदोलन इतना मजबूत है कि उसे ऐसी ‘तुच्छ तिकड़म’ की बदौलत पटरी से नहीं उतारा जा सकता. बीजेपी के समर्थकों ने हैशटैग को पलटते हुए राहुल गांधी को ही प्तस्नद्गद्मह्व दिखाने की कोशिश की और थोड़े समय के लिए उन्हें कुछ कामयाबी भी मिली, लेकिन तब तक यह टैग असल में मोदी से चिपक चुका था.

दूसरा, यह कांग्रेस की सोशल मीडिया रणनीति की अनाधिकारिक लांचिंग थी. इसकी तैयारी फरवरी से ही हो रही थी और इसे कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली एक 10 सदस्यीय समिति की निगरानी में चलाया जा रहा है. #Feku अभियान पर आधिकारिक मुहर तब लग गई जब समिति के सदस्य संजय झा ने 8 अप्रैल को दोपहर 1.28 बजे ट्वीट किया: #TeamCongress, नरेंद्र मोदी को हमेशा के लिए बढिय़ा उपाधि से नवाजने के लिए धन्यवाद; #Feku! वाह जनाब!!! यह बिल्कुल उसी तरह था जैसे बीजेपी ने #PappuCII अभियान को प्रोत्साहित किया था, जो 4 अप्रैल को अरविंद गुप्ता के ट्वीट से साफ जाहिर हो जाता है: #PappuCII ने आंट्रप्रन्योरशिप के 'वाड्रा मॉडल' की बात नहीं की कि आखिर मंदी के दौरान अरबों कैसे बनाए जाएं. #RGCII'

ट्विटर से इंडिया टुडे को मिले पुष्ट आंकड़ों के मुताबिक 9 अप्रैल तक #PappuCII के 40,200 ट्वीट और #Feku के 45,700 ट्वीट हो चुके थे. लेकिन इनके चरम के दिनों में (पप्पू 4 अप्रैल और फेकू 8 अप्रैल) #Feku हैशटैग ने 39,071 की संख्या के साथ 18,616 हैशटैग वाले #PappuCII को काफी पीछे छोड़ दिया था.

तीसरा, कांग्रेस के सोशल मीडिया अभियान पर जोर के साथ ही यूपीए सरकार के डिजिटल मीडिया प्लान को भी आगे बढ़ाया गया है जिसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है. इससे इस बात का इशारा मिलता है कि ऐसी पार्टी जो कभी ट्विटर और फेसबुक को एक शोर-शराबा करने वाला, बेकार का ताम-झाम मानती थी आखिरकार अब उसकी ताकत का इस्तेमाल करने को लेकर गंभीर हो गई है. प्रधानमंत्री को भेजे गए प्रमुख सुझावों में कहा गया है: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (आइऐंडबी) में एक न्यू मीडिया विंग बनाया जाए जो सूचनाओं के ऑनलाइन प्रसारण का काम देखे. जब तक अन्य मंत्रालय खुद की व्यवस्था नहीं कर लेते, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सूचनाएं देने और फीडबैक जुटाने के एक केंद्र के रूप में काम करे; प्रोफेशनल्स का एक थिंक टैक बनाया जाए जो सोशल मीडिया के बारे में सरकार को सलाह दे; और प्लान में यह सुझाव भी दिया गया है कि मंत्रालयों के विभिन्न मौजूदा विभागों में किसी अतिरिक्त पद या वित्त को मंजूरी न दी जाए, बल्कि विभिन्न मंत्रालयों से युवा, ऑनलाइन फ्रेंडली प्रोफेशनल्स को काम में लगाया जाए.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, 'हम 21वीं सदी की लड़ाई 1950 के दशक के फिल्म्स डिवीजन और फोटो जैसे साधनों से लड़ रहे हैं. अब आधुनिक होने का समय आ गया है.' उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार मध्यस्थ की जरूरत को कम करने के सिद्धांत पर काम कर रही है. उसका मानना है कि खबरों को ऐसे सीधे देने का बहुत फायदा है क्योंकि इसमें स्वतंत्र अखबारों, वेबसाइट या टीवी चैनल जैसा संपादकीयकरण नहीं होता.'

'इस बार हमने बीजेपी को उसी के हथियार से धराशायी करने का फैसला किया क्योंकि वह मेहनताना देकर जहर उगलवाने का काम करती आई है.’-- संजय झा, सदस्य, कांग्रेस सोशल मीडिया ग्रुप

सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी कहते हैं, 'लोगों के साथ सीधा संपर्क माध्यम बनाने की जरूरत है. टेक्नोलॉजी बहुत आगे बढ़ चुकी है और सरकार ने यह समझ लिया है कि उसे इसके साथ कदमताल करनी होगी.' हालांकि, उन्होंने इस बारे में और विवरण देने से इनकार किया.

लेकिन तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक्यओ ब्रायन का कहना है कि अगर कोई भी ऑनलाइन अभियान, चाहे वह कांग्रेस का हो या बीजेपी का, #Feku बनाम #PappuCII जैसे कीचड़ उछाल अभियान में बदल जाता है तो दोनों पक्षों को इसका कोई फायदा नहीं मिलेगा. तृणमूल कांग्रेस के मुख्य सचेतक और संसद सदस्य ओ ब्रायन ने कहा कि इस तरह की प्रतिस्पर्धा से राजनीति घटकर ‘‘हैशटैग तमाशा’’ में बदल जाती है.

उनका कहना है, 'सोशल मीडिया के पीछे की सोच कुछ कहने से ज्यादा सुनने की होनी चाहिए. लेकिन यह तो ऐसा दिखाने के अवसर में तब्दील हो रहा है कि आपने कौन-सी जर्सी पहनी है. रेसिंग की भाषा में कहें तो इससे गलत व्यक्ति के प्रशंसक तैयार होते हैं. बाहर से तो ऐसा लगता है कि दो घोड़े दौड़ रहे हैं, लेकिन एक तीसरा घोड़ा आता है और बाजी मार ले जाता है.' तृणमूल एकमात्र ऐसी क्षेत्रीय पार्टी है जिसकी एक समुचित ऑनलाइन रणनीति है, वह फेसबुक एवं ट्विटर पर सक्रिय है और बीजेपी के युवा आइटीवी की तर्ज पर वह अपना इंटरनेट टीवी चौनल लाने की तैयारी में है.

'यह एक ऐसी चीज है जिसे कल भुला दिया जाएगा क्योंकि यह मोदी के भाषण का विरोध करने के लिए गढ़ी गई बनावटी सोच है.’- अरविंद गुप्ता, प्रमुख, बीजेपी इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सेल

एक बात की चिंता इन सभी पार्टियों को है, और #Feku तथा #PappuCII जैसे रोचक शब्दों की तलाश में होने वाले मंथन सत्रों में भी यह बात प्रमुखता से छाई रही कि कोई भी यह भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि 2014 के लोकसभा चुनावों पर ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर बनी धारणाओं का क्या असर होगा. कम से कम शहरी भारत में इन प्लेटफॉर्म की भारी मौजूदगी के बाद यह पहले लोकसभा चुनाव होंगे.

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