आदमी एक और पहचान पत्र अनेक. बड़ी मुसीबत है क्योंकि पहचान स्पष्ट करने की बजाए ये सब उसे उलटा-पुलटा कर देते हैं. क्या कोई आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट दिखाता चलता है? या नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) में नाम दाखिल होना ही भारतीय होने का सबूत है? एक सामान्य भारतीय रोजाना इस तरह की परेशानियों से जूझता है. दिल्ली में प्रवासियों को अपना बैंक अकाउंट तक खोलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
हालांकि आधार कार्ड को 16 राज्यों और संघ राज्यों में अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिन इसे हर नागरिक के हाथ में थमाने की गति अभी बहुत धीमी है—देशभर में अब तक सिर्फ 30 करोड़ लोगों को आधार कार्ड जारी हुआ है. एनपीआर के संबंध में भी कुछ नहीं हो रहा है. नॉन-सैलरीड वर्ग के लोगों के लिए पैन कार्ड बनवाना आकाश के तारे तोडऩे से कम नहीं है. और न ही सभी भारतीयों ने अपने पासपोर्ट बनवा रखे हैं. तो वे अपनी पहचान कैसे साबित करेंगे?
न्यूयॉर्क में गोल्डमैन सैक्स के टॉप एग्जीक्यूटिव रह चुके निलय दीप कहते हैं, “कुछ साल पहले मैंने गाड़ी से अपने परिवार के साथ भूटान जाने का प्रोग्राम बनाया था. फुटशोलिंग की सीमा के चेकपॉइंट पर मैंने अपना पैन कार्ड पहचान पत्र के तौर पर दिखाया. वहां मौजूद अधिकारियों ने यह कहते हुए उसे खारिज कर दिया कि ऐसे फर्जी कार्ड खूब चल रहे हैं. मेरे पास अपनी पहचान साबित करने के लिए और कुछ नहीं था.” दीप 2007 में अमेरिका से भारत लौटे थे.
द यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआइडीएआइ) ने, जो आधार कार्ड के प्रोजेक्ट पर अमल कर रही है, पहचान के प्रमाण के तौर पर दस्तावेजों की एक लंबी फेहरिस्त तैयार कर रखी है. इसमें पासपोर्ट, पैन कार्ड, राशन/पीडीएस कार्ड, वोटर पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, सरकारी फोटो आइडी कार्ड, नरेगा जॉब कार्ड, प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थान का फोटो आइकार्ड, आम्र्स लाइसेंस, फोटो बैंक एटीएम कार्ड, फोटो क्रेडिट कार्ड, पेंशनर फोटो कार्ड, स्वतंत्रता सेनानी फोटो कार्ड, किसान फोटो पासबुक, सीजीएचएस/एक्स सर्विसमैन कॉन्ट्रिब्यूटरी हेल्थ स्कीम कार्ड और वर्ग-ए के गजेटेड अधिकारी की ओर से उनके लेटरहेड पर फोटो के साथ जारी पहचान प्रमाण पत्र शामिल हैं.
सरकार के आश्वासन के बावजूद नागरिकों की पहचान साबित करने वाले आधार कार्ड की विश्वसनीयता अब भी अंधेरे में है. वैसे भी यह अब तक बहुत कम लोगों तक पहुंचा है. पूर्व डिप्टी रजिस्ट्रार जनरल (जनगणना और टेब्यूलेशन) एस.पी. शर्मा कहते हैं, “यूनीक आइडेंटिटी (यूआइडी) नंबर वाला कार्ड नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं है, फिर भी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, बैंक अकाउंट खोलने और ड्राइविंग लाइसेंस लेते हुए सरकारी सेवाओं तक पहुंच बनाने के लिए आधार को अनिवार्य बनाया गया है. जो भारतीय नागरिक नहीं हैं, वे भी इस सरकारी स्कीम का फायदा उठा सकते हैं. यूआइडी ने विदेशियों को भी भारतीयों की बराबरी में ला खड़ा किया है.” शर्मा कहते हैं कि नागरिकता अधिनियम के तहत देश की नागरिकता साबित करने की जिम्मेदारी नागरिकों की है. लेकिन विभिन्न प्रकार के कार्डों और सरकार के अपने विभागों के बीच समन्वय की कमी की वजह से जनता की पहचान गुम हो गई है.
—ब्यूरो रिपोर्ट

