scorecardresearch

असम: गोगोई को मिली अपनों से ही चुनौती

असम के मुख्यमंत्री 12 साल बाद मुश्किलों में. पूर्व वफादार शिष्य सरमा ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला.

तरुण गोगोई
तरुण गोगोई
अपडेटेड 9 अप्रैल , 2013

बारह साल पहले 2001 में सत्ता में आने के बाद से असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई को पहली बार गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस के इस 79 वर्षीय नेता के कभी वफादार रह चुके स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्व सरमा अब उन्हें कुर्सी से बेदखल करने की मुहिम में जुट गए हैं. 18 मार्च को सरमा के करीबी पांच विधायकों ने दिल्ली में आलाकमान को एक ज्ञापन दिया, जिसमें गोगोई के खिलाफ कई शिकायतें हैं. इस ज्ञापन पर कांग्रेस के 79 विधायकों में से 31 विधायकों के दस्तखत हैं, जिसमें गोगोई को महत्वाकांक्षी और तानाशाह बताया गया है. लेकिन खुद सरमा ने इस पर दस्तखत नहीं किए.

दो दिन बाद गोगोई ने दिल्ली में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) के उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहले से तय मुलाकात थी और उन्होंने लोकसभा चुनावों के बारे में बात की. लेकिन पार्टी के सूत्रों के अनुसार, गोगोई ने सरमा को बाहर करने की बात की तो राहुल ने उन्हें झिड़की लगा दी. उस मुलाकात में मौजूद पांच बड़े नेताओं में से एक ने कथित तौर पर गोगोई से कहा, “गोगोई जी, आप अपनी उम्र का तो लिहाज कीजिए. क्या बच्चों के साथ लड़ रहे हैं.”

राहुल ने एआइसीसी के महासचिव और असम के प्रभारी दिग्विजय सिंह को निर्देश दिया कि वे 4 अप्रैल को असम का दौरा करें. दिग्विजय सिंह वहां व्यक्तिगत तौर पर सभी 79 विधायकों से मिलेंगे. एक असंतुष्ट विधायक ने कहा, “दिग्विजय सिंह जब आएंगे, उस समय तक हमारी संख्या 50 तक पहुंच जाएगी.” पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष मोहन देव की पुत्री और कांग्रेस विधायक सुष्मिता देव ने भी राहुल से मुलाकात की और नई दिल्ली से लौटने के बाद वे भी असंतुष्टों के साथ हो गई हैं.

इस टकराव का पहला संकेत 5 मार्च को देखने को मिला, जब गोगोई ने 2014 के लोकसभा चुनावों में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआइयूडीएफ) के साथ गठजोड़ की घोषणा की. 2006 में उन्होंने परफ्यूम के कारोबारी बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाली एआइयूडीएफ की उभरती ताकत का मजाक उड़ाया था.

2011 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने पार्टी की ओर से एआइयूडीएफ के साथ गठजोड़ करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. तरुण गोगोई के वफादार और ऊपरी असम के एक विधायक के मुताबिक इस साल के शुरू में हुए पंचायत चुनावों के बाद ही यह बदलाव आया. एआइयूडीएफ ने कालियाबोर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया. वहां से गोगोई के बेटे गौरव टिकट पाने की कोशिश कर रहे हैं.

असंतुष्टों के गुट को उस समय ताकत मिल गई, जब गोगोई ने अपने यू-टर्न के लिए सार्वजनिक तौर पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जिम्मेदार बताया. सरमा ने प्रतिक्रिया देने में जरा भी देर नहीं की, “कट्टरपंथी पार्टियों के साथ गठजोड़ का कोई सवाल ही नहीं उठता है.” अल्पसंख्यक विधायकों ने भी अपना गुस्सा जाहिर किया. उनमें से एक विधायक ने कहा, “गोगोई अपने बेटे के लिए हमारी बलि देना चाहते हैं.”

राहुल ने जब अजमल के साथ हाथ मिलाने की उनकी योजना को खारिज कर दिया तो मुख्यमंत्री को दो हफ्ते बाद अपनी घोषणा से पीछे हटना पड़ा. गोगोई ने सरमा पर उलटा हमला कर दिया. अब स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग की सारी फाइलें खोली जा रही हैं. पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने सरमा की संपत्ति का ब्यौरा तैयार करने के लिए आयकर विभाग की मदद मांगी है. सरमा की पत्नी रिंकी भुइयां सरमा के चैनल न्यूज लाइव पर दबाव डाला जा रहा है. एक हफ्ते के अंदर चैनल के 16 बड़े कर्मचारी इस्तीफा दे चुके हैं.

इस लड़ाई के बावजूद सरमा इस बात से इनकार करते हैं कि गोगोई के खिलाफ भड़के असंतोष में उनका हाथ है. वे कहते हैं, “मैंने माननीय मुख्यमंत्री के खिलाफ कभी कुछ नहीं कहा है. मुझे किसी भी ज्ञापन की जानकारी नहीं है. हमारे बीच कुछ छोटे-मोटे मतभेद हैं, लेकिन हम उन्हें सीधे बातचीत के जरिए सुलझ सकते हैं.”

गोगोई और सरमा 2011 के चुनावों तक एक-दूसरे के बेहद करीबी थे. उनके बीच तब दूरी पैदा हो गई, जब मुख्यमंत्री के बेटे गौरव ने असम की राजनीति में कदम रखा. सरमा ने असम युवा कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गौरव के उम्मीदवार प्रणजीत चौधरी के खिलाफ पीयूष हजारिका का समर्थन किया और चौधरी भारी अंतर से हार गए. राजनैतिक जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनावों से पहले राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है. गुवाहाटी विवि में राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर नानी गोपाल महंत कहते हैं, “गोगोई को तत्काल कोई खतरा नहीं है. लेकिन नए नेता की तलाश शुरू हो चुकी है.”

Advertisement
Advertisement