उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आजतक चैनल के सीधी बात कार्यक्रम में हेडलाइंस टुडे के मैनेजिंग एडिटर राहुल कंवल से बातचीत की. बातचीत के प्रमुख अंश.
आपकी सरकार का एक साल पूरा हो गया. मुख्यमंत्री महोदय, आप अपने वायदे को पूरा करने में नाकाम रहे.
कन्या धन, बेरोजगारी भत्ता जैसी कुछ ऐसी उपलब्धियां हैं, जो हमारी सरकार ने पूरी की हैं. लैपटॉप भी था, जिसकी शुरुआत हम कर चुके हैं. जहां तक कानून व्यवस्था का सवाल है तो ऐसा लगता है कि सरकार की उपलब्धियों को छुपाने का प्रयास हो रहा है. और वैसे भी जब पार्टी सत्ता में आती है तो अकेली होती है और कोई भी घटना बढ़ा-चढ़ाकर बताई और दिखाई जाती है.
यह साजिश नहीं है. मैं आंकड़ों को सामने रखता हूं. आप मुख्यमंत्री बने, उसके बाद पिछले एक साल में उत्तर प्रदेश में 27 दंगे हुए हैं, 380 लोगों की किडनैपिंग हुई है, 814 रेप हुए हैं, 2,257 मर्डर हुए.
मुझे याद है जब चुनाव चल रहे थे, तब बहुजन समाज पार्टी जनता के बीच आंकड़े रख रही थी और आंकड़े इस बात के रखे जा रहे थे कि उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था बाकी प्रदेशों से बेहतर है. उन्होंने उदाहरण दिल्ली का भी दिया और अन्य सूबों का भी और यही आंकड़े आपके सामने आ रहे हैं. आप 27 दंगों की बात कर रहे हैं. ये दंगे नहीं हुए. आप जब सच्चाई में जाएंगे और जानेंगे कि जो लोग पकड़े गए हैं, वे किस राजनीतिक दल से ताल्लुक रखते हैं.
कुछ तुलना करता हूं. 2011 में जब मायावती की सरकार थी, 326 रेप हुए. 2012 में आपकी सरकार में 1,036 केस आए. ये हकीकत है कि लोग मायावती के राज में ज्यादा महफूज महसूस करते थे.
मैंने विधानसभा में इस बात को कहा है कि पिछली सरकार में एफआइआर दर्ज ही नहीं होती थी. मैं खुद थाने में सोया, उस समय के नेता प्रतिपक्ष, जो आज लोक निर्माण मंत्री हैं, वे थाने में सोए. दो दिन लगातार समाजवादी पार्टी के लोगों के बैठने के बाद भी एफआइआर दर्ज नहीं हुई. यह सच्चाई है.
आपके रिश्तेदार हैं अभिनव गुप्ता, जिन्होंने अपनी यूनिवर्सिटी टीचर को तमाचा मारा और टीचर की गलती यह कि उन्होंने अटेंडेंस कम होने पर एग्जाम्स में न बैठने की बात की. जब टीचर पुलिस स्टेशन एफआइआर दर्ज करवाने गई तो उस वक्त इंस्पेक्टर विजयमल सिंह यादव भाग गए, यह जानकर कि अभिनव मुलायम सिंह और अखिलेश के परिवार से हैं. इनकी एफआइआर दर्ज कैसे कर सकते हैं.
आपको इतनी ही जानकारी है. अभिनव के साथ टीचर का झगड़ा हुआ और वह एफआइआर दर्ज करवाने गई. मैं टीचर से मिला था. और टीचर के पिताजी मुझसे खुद विधानसभा में मिले थे. मैंने खुद उनकी शिकायत सुनी थी. पूरी कार्रवाई की है. अभिनव को यूनिवर्सिटी से निकाला है और जो कार्रवाई कर सकते थे, वह की है.
पर पुलिसवाले का खौफ देखिए.
आप देखें तो एफआइआर दर्ज हुई है और ये निर्देश दिए कि सरकार की तरफ से एफआइआर मामले में कोई ढिलाई नहीं होगी.
दिक्कत अंदर से है. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के आंकड़े दिखाते हैं कि 48 में से 26 मंत्री ऐसे हैं जिन पर कोई न कोई क्रिमिनल केस है ऐसे लोग आपने रखे हैं, जो गलत मैसेज दे रहे हैं.
जिन मंत्रियों पर मुकदमे हैं, उनमें से कई ऐसे लोग हैं, जिन पर राजनैतिक मुकदमे हैं.
अमरमणि का उदाहरण देता हूं. कहने को तो वे जेल में हैं, जेल में उनकी सभा चलती है. दरबार लगता है. जेल से जब चाहें एसयूवी में बैठते हैं, जेल की गाड़ी में नहीं बैठते.
उन्हें केवल अस्पताल जाने के लिए परमिशन दी थी. जो ढिलाई हुई, उस पर कार्रवाई हुई है.
ऐसा आरोप है कि उत्तर प्रदेश एक है लेकिन वहां मुख्यमंत्री अनेक हैं. आप मुख्यमंत्री हैं, लेकिन कुछ मानते हैं कि आप तो केवल मुखौटा हैं. असली चेहरा आजम खान, शिवपाल यादव और आपके पिताजी हैं.
यह सवाल कई बार पूछा गया है. कोई भी सरकार तभी चल सकती है, जब मुख्यमंत्री एक हो. एक साल के अंदर सरकार की इतनी उपलब्धियां होना, किसी भी प्रदेश से बेहतर काम करके दिखाना, जब तक निर्णय एक नहीं होगा, तब तक संभव नहीं है.
आपको यह महसूस होता है कि आप कमान आपके पास हैं पर आपके पिताजी कई बार आपके मंत्रियों की आलोचना कर देते हैं. आपके पिता आपको फेल मानते हैं.
देखिए, किसी की आलोचना करना या किसी को सुधरने के लिए कहना अलग बात है. और अगर किसी के माध्यम से उनको यह जानकारी मिलती है और वे इस बात को बताते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है.
आप बेनी प्रसाद वर्मा को काफी अच्छे से जानते हैं. उन्होंने मुलायम सिंह के खिलाफ बयान दिया कि उनका आपराधिक जीवन रहा है, आतंकवादियों से उनका रिश्ता है, तिहाड़ में जाने की तैयारी कर लेनी चाहिए. वे कांग्रेस से कमीशन लेते हैं.
उम्र के हिसाब से मुझे उनके लिए कुछ नहीं कहना चाहिए, लेकिन जो कुछ भी उन्होंने कहा, वह गलत है. और उसका विरोध उनकी खुद की पार्टी की तरफ से भी आया है. उनकी पार्टी के लोगों ने माना है कि उनकी भाषा अच्छी नहीं थी.
लेकिन तब आप सभी कह रहे थे कि बेनी का इस्तीफा हो वरना हम सरकार का साथ छोड़ देंगे. पर ऐन वक्त में कांग्रेस से डील हो गई. बेनी तो अब भी हैं.
सरकार के वरिष्ठ नेताओं ने स्वीकार किया और मैंने तो कई नेताओं के स्टेटमेंट्स की निंदा भी की कि शब्द खराब थे.
सरकार से डीएमके अलग हो गई. पर मायावती और मुलायम की जुगलबंदी हमेशा सरकार को बचाती रहेगी. बड़ा अजीब रिश्ता है. सड़कों पर इतना लड़ते हैं, फिर भी कांग्रेस की मदद करते हैं.
यह कांग्रेस की खूबी है कि वह दोनों दलों, जो यूपी में लड़ते हैं, उन्हीं का सहयोग ले पाती है.
कांग्रेस की खूबी या फिर सीबीआइ की.
मैं समझता हूं कि कांग्रेस की खूबी है.
आपके अनुसार अप्रैल-मई 2014 में चुनाव होंगे या नवंबर-अक्तूबर में.
जब भी चुनाव हो, समाजवादी पार्टी तैयार है. समाजवादी पार्टी के लिए अगर अप्रैल में चुनाव हो तो बेहतर. अगर पहले हो जाएं तो भी तैयार हैं.
एक तरफ नरेंद्र मोदी का चेहरा नजर आ रहा है. आपको लगता है कि बीजेपी को वह सरकार दिला सकते हैं?
टीवी और गुजरात में उनके नाम की चर्चा हो रही है. उत्तर प्रदेश में जमीन पर तो कहीं चर्चा नहीं.
आप खौफजदा हैं क्योंकि चर्चा है कि मोदी लखनऊ से भी चुनाव लड़ सकते हैं.
मैंने कहा कि चर्चा केवल टीवी पर हो रही है और टीवी के माध्यम से टिकट तय हो जाता है.
आपका अनुमान क्या है? चुनाव हुए तो कैसी सरकार बनेगी
हम अपना कह सकते हैं कि समाजवादी पार्टी की भूमिका अहम होगी. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की संख्या ज्यादा आएगी. सरकार किसकी बनेगी, यह कह पाना मुश्किल है. कभी लगता है कि तीसरी ताकत भी तैयार हो सकती है.
आपके पिता ने आपको मुख्यमंत्री बनाया. अब आपका प्रयत्न होगा कि आप उन्हें प्रधानमंत्री बनाएं.
पीएम वही बन सकता है, जिसके पास संख्या हो, दलों का समर्थन हो, लेकिन जहां तक नेताजी की बात है, समाजवादी पार्टी की, राष्ट्रीय नेतृत्व की तो मेरी जिम्मेदारी बनती है कि समाजवादी पार्टी ज्यादा सीटों के साथ जीतकर आए.
अगले साल आपकी क्या प्राथमिकताएं होंगी? क्या करेंगे?
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा प्रदेश है. समाजवादी पार्टी की प्राथमिकता यह होगी कि तमाम चीजों में विकास हो, सड़कें बेहतर बनें. पढ़ाई का इंतजाम बेहतर हो, स्वास्थ्य और इलाज का इंतजाम बेहतर हो. जिस तरह निवेश और उद्योग लगाने का माहौल बना है, वह भी समाजवादी पार्टी की नीति है.

