यही कोई नौ साल पहले भूरे-काले लहराते बालों में जब रांची का एक खिलाड़ी टीम इंडिया में आया तो साथी खिलाडिय़ों को अजूबा-सा लगता था. कुछ उसका मज़ाक भी उड़ाते थे. क्रिकेटर आकाश चोपड़ा 2004 में टीम इंडिया में शामिल थे और धोनी के रूममेट थे. आकाश ने बड़ी सरलता से कुबूला, ''मैंने उससे कहा था, ये लंबे बाल कटा ले. यहां नहीं चलेंगे. अजीब-से लगते हैं. तब उसने मुझसे कहा, क्या पता कल पूरा देश ये हेयरस्टाइल रखे.”
माही की यह बात सच होने में चंद महीने ही लगे. हर शहर हर कस्बे के सैलून में धोनी कट की ही फरमाइश होने लगी. धोनी के बाल अब सफेदी से भरे हैं, लहराती जुल्फों की जगह कमांडो कट है—पर वे अब भी उतने ही बड़े स्टाइल आइकन हैं. उनके बाल पहले घुंघराले हुआ करते थे, जिसे रांची के काया सैलून के धीरज कुमार ने सीधा किया और रंगा. यहीं से धोनी को लंबे बाल रखने की प्रेरणा मिली.
हालांकि माही के दोस्त कहते हैं कि वे स्टाइल और फैशन के बारे में न तो परवाह करते हैं और न ही ज्यादा जानते हैं. कप्तान बनने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए अंग्रेज़ी तो चमकानी पड़ी, लेकिन दोस्तों के बीच उनका अंदाज अभी-भी देसी है.
माही के कमांडो कट के पीछे भी कहानी है. पत्नी साक्षी को उनकी लंबी जुल्फें पसंद नहीं थीं. दूसरा उनका आर्मी प्रेम. धोनी से जब पूछा गया कि क्रिकेट से संन्यास के बाद क्या वे बाकी साथियों की ही तरह कमेंटेटर बनेंगे? उन्होंने झट कहा, ''बिलकुल नहीं. मैं आर्मी के साथ वक्त बिताऊंगा.” माही सेना को लेकर बहुत पैशनेट हैं. देश सेवा करना चाहते हैं, वो भी सरहद पर तैनात रहकर. जब टेरिटोरियल आर्मी में शामिल हुए थे तो कहा था, ''मैं राजपूत हूं, सेना मेरे खून में है.”
अब माही जंप लगाना चाहते हैं. लेकिन इसके लिए ट्रेनिंग अनिवार्य है. एक साथ कम-से-कम 14 दिन चाहिए. और यह उनके शेड्यूल में मैनेज कर पाना नामुमकिन है. इस बात की खूब कसक है उन्हें. इसीलिए क्रिकेट को अलविदा कहते ही पहला काम यही करना चाहते हैं. पिछले साल वक्त निकाल कर वे जम्मू कश्मीर में एलओसी पर गए थे. जम्मू, राजौरी, उरी, श्रीनगर और लेह से लेकर सियाचन बेस कैंप तक गए. सैनिकों के साथ बंकर में रहे. फिर अरुणाचल भी गए. वहां हथियारों की ट्रेनिंग ली, साथी सैनिकों से जी भरकर बातचीत की. क्रिकेट से वक्त निकलता है, तो एंडॉर्समेंट करने ही पड़ते हैं. उसमें से जो वक्त बचता है, उसे धोनी घर और आर्मी में बराबर-बराबर बांटने की कोशिश करते हैं.
माही का आर्मी, बंदूकों और बाइक्स से लगाव किसी से छुपा नहीं है. पर आश्चर्य है कि पल-पल बदलती दुनिया में भी सालों से माही के प्यार नहीं बदले. जिन शहरों में उनका ज्यादा वक्त बीतता है, वहां वे अपनी मोटरसाइकिल जरूर रखते हैं. चेन्नै में तो माही की 4 बाइक्स होटल में पार्क रहती हैं. रोज इन पर सवारी करते हैं माही. उन्हें रफ्तार में सुकून मिलता है. वे चलाते भले तेज हों पर बहुत सुरक्षित राइडर हैं. एक बार दक्षिण अफ्रीका में फील्डिंग अभ्यास के दौरान गौतम गंभीर को वे अपनी ड्रीम बाइक का ऐसा ब्यौरा दे रहे थे कि गौतम ने कहा, ''इतनी तेज रफ्तार है तो अब बाइक नहीं, जेट ही खरीद लो.”
आज 30 बाइकों के उनके बेड़े में 28 लाख रु. की सबसे मजबूत हेलकैट बाइक भी है. कभी कोई देशी मोटरसाइकिल भी उनके लिए सपना थी. खडग़पुर में धोनी के साथ रूममेट रहे रॉबिन कुमार बताते हैं, ''वह साइकिल चलाता था. मैंने सबसे पहले लाल पल्सर खरीदी. हम बाहर निकलते तो वह मुझसे पीछे बैठने की जिद करता. जो शख्स 350सीसी की बुलेट से ईर्ष्या करता था, आज वह एक्स12 हेलकैट का मालिक है.”
धोनी के दूध का शौकीन होने की बात भी खारिज करते हुए कुमार बताते हैं कि उसे कोल्डड्रिंक्स की लत थी. चॉकलेट धोनी का पहला प्यार था. एक मित्र तो बताते हैं कि धोनी और चॉकलेट को जुदा कर पाना मुमकिन नहीं. दोस्तों ने लेकिन उन्हें कभी शराब पीते हुए नहीं देखा. पहले लड़कियां भी उन्हें पसंद नहीं करती थीं.
भारतीय क्रिकेट टीम में 9 सालों के बाद लगता है, माही की जिंदगी अब खुली किताब है. पर यह आपका हमारा भ्रम ही है. वे दुनिया को वही और उतना ही दिखाते-बताते हैं जितना वे चाहते हैं. असली माही तो एक बेहद आम शख्स है जो अपने परिवार और दोस्तों में ही अपनी दुनिया तलाशता है.

