मेरा कॉलेजः श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स

बहुत सारे विद्यार्थियों ने प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखी. कोर्सेरा पर मुफ्त कोर्सेज उपलब्ध थे.

पार्थ चौधरी 
पार्थ चौधरी 

श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, 

—पार्थ चौधरी 
बीए इकोनॉमिक्स (ऑनर्स), द्वितीय वर्ष, श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स 

मैं वडोदरा, गुजरात से क्लास में जुड़ रहा हूं. ऑफलाइन और ऑनलाइन क्लास के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती. कैंपस लाइफ के साथ ऐसी बहुत सी खूबियां हैं जो ऑनलाइन संभव नहीं हैं. ऐसे कई अनुभव हैं जो हमें केवल कॉलेज में ही हो सकते हैं.

कैंपस में अपनी पढ़ाई, मौज-मस्ती, पाठ्येतर क्रियाकलापों आदि दैनिक कार्यों के बीच संतुलन स्थापित करते हुए जीवन में संतुलन बनाने का हुनर सीखने का मौका मिलता है जिससे फिलहाल हम वंचित हैं. फिर भी, कॉलेज की पढ़ाई के ऑनलाइन कक्षाओं के रूप में बदलने का काम बहुत सुगमता से हुआ और अनुभव बहुत अच्छा रहा है.

सभी संकाय और सभी बैच के छात्र एमएस टीम पर जुड़े थे. ऑनलाइन लर्निंग ने भी बहुत सारे अवसर खोले हैं—हमने बहुत समय बचाया है और दिन का एक बड़ा हिस्सा बच जाता है जिसका इस्तेमाल हम अन्य कौशल सीखने में कर पाते हैं.

बहुत सारे विद्यार्थियों ने प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखी. कोर्सेरा पर मुफ्त कोर्सेज उपलब्ध थे. प्लेसमेंट के मोर्चे पर, हमारे पास सभी आवेदनों के लिए एक निर्दिष्ट पोर्टल था जिसने इस काम को बहुत सहज और सुविधाजनक बना दिया.

मैं चाहूंगा कि मुख्य शिक्षा कैंपस में क्लास वाली ही बनी रहनी चाहिए लेकिन उनमें शिक्षण के डिजिटल उपकरण भी जोड़े जाएं. मुझे डीयू कैंपस की बड़ी याद आती है.

(श्वेता पुंज से बातचीत पर आधारित).

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